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Showing posts from 2019

क्या आप पुस्तक प्रकाशित करवाने जा रहे है?

क्या आप पुस्तक प्रकाशित करवाने जा रहे है? तो २ मिनिट रुकिए और अपने प्रकाशक से पूछिए कुछ सवाल १. आप पुस्तक प्रकाशित करने के लिए क्या गुणवत्ता का ख्याल रखते है ? २. आपके प्रकाशन के सम्पादकीय दल में कौन शामिल है ? ३. क्या पुस्तक का पाठशोधन (प्रूफरीडिंग ) किया जाता है ? ४. पुस्तकों के प्रचार हेतु आपका प्रकाशन क्या व्यवस्था करता है? ५. क्या पुस्तकों के प्रचार हेतु आपके पास तकनीकी तंत्र उपलब्ध है ? ६. पुस्तकों के विक्रय हेतु क्या योजना है आपके प्रकाशन की ? ७. पुस्तकों को ऑनलाइन विक्रय हेतु कितने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करवाया जाता है ? ८. पुस्तकों के विक्रय से कितने प्रतिशत रायल्टी आप लेखक को देते है ? ९. पुस्तकों के वितरण हेतु देश के कितने बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स आपके साथ है? १०. क्या लेखक के प्रचार प्रसार और व्यक्तिगत ब्रांडिंग के लिए आपका प्रकाशन सुविधाएँ प्रदान करता है? ११. क्या लेखकों का साक्षात्कार प्रकाशन, पुस्तक के बारें में मीडिया में प्रचार, पुस्तक समीक्षा प्रकाशन, आदि प्रकाशक की ओर से होती है? १२. किंतने पुस्तालयों में लेखक की पुस्तक प्रकाशन द्वारा प

संस्मय प्रकाशन के बारे में

एक प्रकाशन रचनाकार के शब्दरंगों से सपनों का बुनकर होता है। एक रचनाकार जो अब तक अपने सृजन को डायरी के पन्नों तक समेट देता था, अब उसके सार्थक सृजन को गुणवत्ता की चाशनी में डूबा कर, रंग और आकार के साथ पाठक की उन्नत और वैचारिक मानसिक खुराक बनाने का कार्य करने वाले उपक्रम का नाम प्रकाशक है। भाषा के सौंदर्य में अभिवृद्धि और लेखकों के मनोभावों के बीजों के अंकुरण हेतु प्रकाशन ही तो बनता है जनमानस की समिधा, इसीलिए वैचारिक क्रांति के संवाहक के रूप में प्रकाशक को अधिक जिम्मेदार माना जाता है। जिम्मेदार प्रकाशन ही पाठक और लेखक के बीच का वह सेतु है जो शिक्षित समाज के निर्माण और जागरूक मानस प्रस्फुटन करता है। इसी कड़ी में हिन्दी भाषा के उन्नयन और भारतीय भाषाओँ के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से माँ अहिल्या की नगरी और मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से 'संस्मय प्रकाशन'का उदय वर्ष २०१९ में हुआ है। जहाँ प्रकाशन को सम्मान बाँटने और पुस्तक छापने का व्यापार न बनाकर पाठकों को वैचारिक खुराक पहुँचाने और श्रेष्ठ लेखन को प्रकाशन का पंख देकर रचनाकार को लेखक के रूप में स्थापित करने का ध्य