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क्या आप पुस्तक प्रकाशित करवाने जा रहे है?

क्या आप पुस्तक प्रकाशित करवाने जा रहे है?



तो २ मिनिट रुकिए और अपने प्रकाशक से पूछिए कुछ सवाल
१. आप पुस्तक प्रकाशित करने के लिए क्या गुणवत्ता का ख्याल रखते है ?
२. आपके प्रकाशन के सम्पादकीय दल में कौन शामिल है ?
३. क्या पुस्तक का पाठशोधन (प्रूफरीडिंग ) किया जाता है ?
४. पुस्तकों के प्रचार हेतु आपका प्रकाशन क्या व्यवस्था करता है?
५. क्या पुस्तकों के प्रचार हेतु आपके पास तकनीकी तंत्र उपलब्ध है ?
६. पुस्तकों के विक्रय हेतु क्या योजना है आपके प्रकाशन की ?
७. पुस्तकों को ऑनलाइन विक्रय हेतु कितने प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करवाया जाता है ?
८. पुस्तकों के विक्रय से कितने प्रतिशत रायल्टी आप लेखक को देते है ?
९. पुस्तकों के वितरण हेतु देश के कितने बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स आपके साथ है?
१०. क्या लेखक के प्रचार प्रसार और व्यक्तिगत ब्रांडिंग के लिए आपका प्रकाशन सुविधाएँ प्रदान करता है?
११. क्या लेखकों का साक्षात्कार प्रकाशन, पुस्तक के बारें में मीडिया में प्रचार, पुस्तक समीक्षा प्रकाशन, आदि प्रकाशक की ओर से होती है?
१२. किंतने पुस्तालयों में लेखक की पुस्तक प्रकाशन द्वारा पहुंचाई जाती है ?
१३. क्या लेखक का वीडियों साक्षात्कार प्रसारित किया जाता है ?
१४. आप लेखक की किताब की ईबुक के वितरण हेतु कितने प्लेटफॉर्म का उपयोग करते है ?
१५. क्या पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम करते है ?
१६. विश्व पुस्तक मेले में क्या आपका प्रकाशन भागीदारी करेगा ?
१७. आपका प्रकाशन कितनी किताबों के विक्रय की गारंटी देता है ?
१८. क्या आपके प्रकाशन में अनुबंध आधारित कार्य होता है ?
१९. क्या आपके प्रकाशन द्वारा लेखकों और पुस्तकों के प्रमोशन के लिए क्या कदम उठाए जाते है?
२०. क्या आपका प्रकाशन बेस्ट सेलर किताब तैयार करने में लेखकों की मदद करता है यदि हाँ तो कैसे?

यदि इन सवालों के जवाब हाँ में मिलते है तो ही चुने उसे अपना प्रकाशक अन्यथा नुकसान आपका भी है और आपकी लेखनी का भी।
यदि सभी सवालों का जवाब हाँ में चाहिए तो आज ही चुने 'संस्मय प्रकाशन' को। गुणवत्ता आधारित मुद्रण, उन्नत तकनीकी तंत्र और बेहतरीन विपणन (मार्केटिंग) एवं विपणन (डिस्ट्रीब्यूशन) के लिए ही संस्मय प्रकाशन का जन्म हुआ है। हम जो कहते है वह स्टाम्प पर लिख कर देते है और पूरा करते है। आपकी पुस्तकों के विक्रय होने पर ७० फीसदी तक रायल्टी लेखक के खाते में जमा होगी। यहाँ तक कि ऑनलाइन बिकने वाली ईबुक का शत प्रतिशत लेखक की कमाई है। क्योंकि हमारी चिंता है हिन्दी को रोजगार की भाषा के रूप में लाना, और जबतक लेखकों को पुस्तक लेखन से आय नहीं प्राप्त होगी तो यकीन मानिए ये हिंदी प्रचार के साथ बेईमानी होगी।
संस्मय प्रकाशन के माध्यम से एक रचनाकार को स्थापित लेखक बनने में सम्पूर्ण योगदान दिया जाता है, लेखक की व्यक्तिगत ब्रांडिंग की जाती है,क्योंकि जबतक लेखक ब्रांड नहीं बनता तब तक उसकी पुस्तक का विक्रय संशय में ही रहता है। हमारे द्वारा पुस्तक को प्रचारित किया जाता है, जितना होगा प्रचार उतना विक्रय होगा। देश की समस्त स्थापित पुस्तकालयों में प्रकाशन द्वारा निशुल्क लेखक की किताबें भेजी जाती है। और हम लेते है किताबों के विक्रय की गारंटी, यदि १ वर्ष में नहीं बिका प्रथम संस्करण तो सभी किताबें हम खरीदकर लेखक को रॉयल्टी प्रदान करेंगे। किसी भी संस्करण में २०० किताबों से काम प्रकाशित नहीं होगी।
अब बताइएं है कोई प्रकाशन संस्मय प्रकाशन की तरह जो दे विश्वास और सबलता की गारंटी।
स्वागत है आपका संस्मय प्रकाशन में... ।
सुपर ३० की भांति हमें ज्यादा किताबें छापने में विश्वास नहीं है बल्कि हर लेखक को बेस्ट सेलर तक पहुँचाने का ध्येय निहित है।
*स्थान सिमित है, सिमित लोगों की किताबें प्रकाशित होगी।*
जल्द ही संपर्क करें - शिखा जैन - 7049577455 । डॉ अर्पण जैन 'अविचल' 7067455455

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संस्मय प्रकाशन के बारे में

एक प्रकाशन रचनाकार के शब्दरंगों से सपनों का बुनकर होता है। एक रचनाकार जो अब तक अपने सृजन को डायरी के पन्नों तक समेट देता था, अब उसके सार्थक सृजन को गुणवत्ता की चाशनी में डूबा कर, रंग और आकार के साथ पाठक की उन्नत और वैचारिक मानसिक खुराक बनाने का कार्य करने वाले उपक्रम का नाम प्रकाशक है। भाषा के सौंदर्य में अभिवृद्धि और लेखकों के मनोभावों के बीजों के अंकुरण हेतु प्रकाशन ही तो बनता है जनमानस की समिधा, इसीलिए वैचारिक क्रांति के संवाहक के रूप में प्रकाशक को अधिक जिम्मेदार माना जाता है। जिम्मेदार प्रकाशन ही पाठक और लेखक के बीच का वह सेतु है जो शिक्षित समाज के निर्माण और जागरूक मानस प्रस्फुटन करता है। इसी कड़ी में हिन्दी भाषा के उन्नयन और भारतीय भाषाओँ के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से माँ अहिल्या की नगरी और मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से 'संस्मय प्रकाशन'का उदय वर्ष २०१९ में हुआ है। जहाँ प्रकाशन को सम्मान बाँटने और पुस्तक छापने का व्यापार न बनाकर पाठकों को वैचारिक खुराक पहुँचाने और श्रेष्ठ लेखन को प्रकाशन का पंख देकर रचनाकार को लेखक के रूप में स्थापित करने का ध्य